आज करे सो काल कर काल करे
सो परसो हड़बड़ हड़बड़ काहे करत जीना है सौ बरसो।।
ये वाला लाइन झा सर माइंड में बचपने में अइसा फ़ीड
किए हैं कि का बताये आलस करना हॉबी बन गया है। बिस्तर में लेट जाओ अऊ दीवार को देखते रहो,
सोचते रहो सोचते रहो कि अइसा का करू की
कुछों काम न करना पड़े, कोई भी
काम न करने के लिए परफेक्ट बहाना बनाना, अरे बड़ी मेहनत लगता है ये सब में। हमारे पास कोई
कुछ कामं लेके तो आ जाये, पहले तो हम सामने वाले को कंविन्स करते हैं,
ये जो काम जो आप बोल रहें है न वो सही नही है इस काम के जगह दूसरा काम,
जो हमसे नही किसी और से होगा, वही सबसे सही काम है घर वाले तो अब कुछों नही कहते
हैं सब जान गए हैं जीतने देर में हम काम करने को राजी होंगे उतने देर में वे खुदे
कर लेंगे। ये बहाना बनाने वाला टेकनीक कई बार अइसा काम किया है की हमारे सुझाव को
अमल लाने वाले हमको बहुत मानते हैं वो सोचते हैं की हम उनको सही रास्ता दिखाये पर हम जानते हैं, ये सब भगवान की लीला है वरना
हम तो खाली काम से बचने का ही सोच के काम को टरका दिये थे ।
अइसे तो हम शुरू से ही आलसी हैं,
सबसे छोटे थे घर में इस लिए कोई भी काम हमसे
नई हो पा रहा है करके ऊपर धकेल देते थे,
दीदी होशियार थी सब चालाकी समझ जाती थी पर वो भी गरिया गरिया के रो गा के काम और ऊपर
धकेल देती थी, बहाना बनाने में हम से भी ज्यादा माहिर थी पर
रेगुलर प्रेक्टिस के आभाव में फेल हो गयी और हम उससे आगे निकल गए।
जब हास्टल गए तो देखे वहा तो बहुत तगड़ा कंपिटिसन था,
एक से एक आलसी थे वहा, हमारे रूम में ही डेविड.. का गज़ब का आलसी था,
उसको देख के हम प्रेरित प्रेरित टाइप फील करते थे। हमको तब बहुत बुरा लगता था जब
कोई डेविड के आलस की तारीफ हमारे सामने करता था, अरे वो कामे अइसा करता था
का बतायें, एक बार तो 10 वी कक्षा में एक्जाम टाइम सूबे सूबे परमार
सर आए पुछे डेविड क्या कर रहा है लड़के लोग बताये सर सो रहा है तो वो बोले अरे सोने
दो हल्ला मत करो रात भर पढ़ा होगा.. जागेगा तो फिर पढ़ेगा फिर दोपहर में आए तब भी सो
रहा था शाम को भी सोते मिला रात में आए तो बोले मार के उठाओ इसको दिन भर सोते रहता
है पढ़ता लिखता नही है। रात दिन के मेहनत से डेविड हमसे बहुते आगे निकल गया
था..इतना बेजोड़ मेहनत हम किसी को करते नही देखे हैं। अइसे तो कछुवा सबसे बड़ा आलसी
होता है, काहे की जीतने टाइम मे दूसरे जानवर 10 गो काम ट्राई करके फेल
हो जाते है वो एक ही में धीरे धीरे एकदम स्लोली स्लोली लगा रहता है और वेल फोकस्ड
होने के नाम से सफल भी हो जाता है..ये जीत का मंत्र बहुत बड़ी प्रेरणा है सभी के लिए।
जब कालेज गए तो वहा आलसियो की भारी कमी देखे,
लेकिन हमारा दोस्त अविलाश हमेशा हमारे लिए चुनौती पेश करता था और कभी कोई काम करते
देख ले तो खूब चिढ़ाता था जैसे हम बेवकूफ बन गए टाइप। सूबे जब अम्मा खाना बनाने के
लिए आती थी और दरवाजा खटखटाती थी तो उसको देखे हैं कंबल में मुह छुपा लेता था जइसे गहरे नींद में है,
हम भी थे होशियार ये सब चालाकी पहले से जानते थे और कभी उठे भी नही गेट खोलने के
लिए काहे की हम और गहरी नींद में रहते थे, उसके बाद खाना उसी को बनाना पड़ता था काहे की हमारे
हाथ का बना खाना उसको अच्छा नही लगता था, हम खाली उबाल देते थे साग तरकारी कह देते थे हेल्थ
के लिए यही सही है ज्यादा मसाला वसाला ठीक नही, और हम भी कभी अच्छा बनाने
का कोशिश नही किए वरना हमेशा हमी को बनाना पड़ता, वो का हे की हम थोड़ा मोड़ा
लिनिएंट हैं न।
Mujhe bhi Expose kr k hi manega😂😁
ReplyDelete😊😊😊
DeleteNice dear birjhu
ReplyDeletethank you...for reading
Deleteyou are not only lazy yourself but you inspire laziness..😂🤣
ReplyDelete😊😊😊😊just for humor..
Deleteये तो हमारी कहानी निकली भाई
Deletetum to kahani ke hero ho..😃
Deleteहम ऊ डेविड से जरूर मिलना चाहूँगा
Deletejarur ....hum vigat varsh me mile the..
DeleteBahute sangharsh kiyo ho bhai jindgi me......hahahaha
ReplyDelete😊😊😊😊
DeleteGood
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